Best Mehnat Ka Fal Stories in Hindi For Kids | मेहनत का फल कहानियाँ

Mehnat Ka Fal Stories in Hindi

हेलो दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको Mehnat Ka Fal Stories in Hindi के बारे में बताने जा रहे है। इन मेहनत का फल कहानियां से आपको बहुत अच्छी बातें सीखने को मिलेगी। जिनको आप अपनी जीवन में प्रयोग करके सफलता की राह को आसानी से पा सकते है। यह कहानियां बेहद ही रोचक और मनोरंजन भरा है जिसे पढ़कर आपको और बच्चों को बहुत मजा आएगा‌।

1. Mehnat Ka Fal Stories in Hindi – व्यापारी और पुत्र

Mehnat Ka Fal Stories in Hindi

बहुत समय पहली की बात है एक व्यापारी के यहां कई वर्षों के बाद पुत्र का जन्म हुआ था। इसलिए माता-पिता अपने बच्चे को बहुत प्यार करते थे‌। अधिक लाड प्यार से उनका लड़का बिगड़ गया था। जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया उसके फिजूल खर्चे की आदत भी बढ़ती गयी‌।

पुत्र को सुधारने के लिए माता-पिता ने अनेक प्रयत्न किए परंतु इससे कोई भी लाभ नहीं हुआ। एक दिन पिता ने पुत्र से कहा बेटे मेरे पास जो कुछ है वो सब तुम्हारा ही तो है लेकिन एक शर्त है तुम्हें इस बात का प्रमाण देना होगा की तुम भी धन कमा सकते हो। तब तक मेरे संपत्ति से तुम्हें एक पैसा भी नहीं मिलेगा।

पिता के इस व्यवहार से पुत्र को बहुत दुख हुआ। उसने निश्चय किया मैं इस बात का प्रमाण जरूर दूंगा की मैं भी धन कमा सकता हूं। अगले दिन वह लड़का काम की तलाश में निकला घूमते घूमते एक साहूकार के यहां ठेला खींचने का काम मिल गया। अनाज के बोरे ठेले में लादने और एक निश्चित जगह ले जाकर उन्हें उतारने का काम उसको करना था।

दिनभर उसने कठिन मेहनत करी तब कहीं जाकर उसे शाम को एक रुपया मिला। घर जाकर उसने वो रुपया पिता को दे दिया। घर के पिछवाड़े में एक कुआं था। पिता ने पुत्र के सामने वो रुपया उस कुएं में डाल दिया। कुछ दिन तक यहीं क्रम चलता रहा।

प्रतिदिन पुत्र मेहनत से कमाया हुआ पैसा पिता को देता और पिता पुत्र से कुछ भी ना कहकर उसके द्वारा कमाकर लाया गया रुपया कुएं में डाल देता था। एक दिन पुत्र क्रोधित हुआ और बोला पड़ा पिताजी मेहनत से कमाई हुई मेरी कमाई आप कुएं में इस तरह क्यों डाल देते हैं। पिता ने उसे समझाया मैं जानता हूं पुत्र की तुम दिनभर बहुत मेहनत करते हो तब जाकर एक रुपया कमा पाते हो।

तुम्हारी मेहनत की कमाई को जब मैं कुएं में फेंक देता हूं तब तुम्हारा मन दुखी हो जाता है यह भी मैं समझता हूं। बेटा अब तुम भी समझ गए होगे जब तुम मेरे कमाएं हुए पैसे-धन को निरंतर बर्बाद कर रहे थे तब मेरी क्या दशा होती होगी। पुत्र को अपनी गलती का एहसास हुआ उसने मन ही मन निश्चय कर लिया अब मैं कभी भी धन को व्यर्थ खर्च नहीं करूंगा।

2. Mehnat Ka Fal Stories in Hindi – गोलू और भोलू

Mehnat Ka Fal Stories in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक गांव के दो दोस्त गोलू और भोलू शहर में पैसा कमाने के लिए गए। वहां जाकर दोनों ने धनी व्यापारी के यहां पर काम करना शुरू कर दिया। पहले ही दिन व्यापारी ने दोनों दोस्तों के हाथ में, एक-एक छन्नी देकर बाग में जाकर कुएँ से शाम तक पानी भरने का आदेश दिया।

ऐसा आदेश सुनकर गोलू ने सोचा की वह इस छन्नी से बिल्कुल पानी नहीं निकाल सकता। ऐसी कोशिश भी बेकार की कोशिश होगी। ऐसा सोचकर गोलू बगीचे पर जाकर एक पेड़ के नीचे सो गया जबकि, भोलू पूरा दिन उस छन्नी से पानी भरता रहा और अचानक, उसे अपने बर्तन में कुछ भारी सा लगा।

भोलू ने देखा की, कुछ सोने की सिक्के लगातार पानी भरने के प्रयास में छन्नी में आ गए थे‌। शाम को वापस मालिक के पास जाने पर उसने सोने के सिक्के मालिक को दिए। व्यापारी सोने के सिक्के देखकर बहुत ही खुश हुआ उसने आधा हिस्सा भोलू को इनाम में दे दिया‌ और उसकी नौकरी भी पक्की कर दी। बेचारे गोलू को अब वापिस अपने गांव जाना पड़ा।

सीख : मेहनत का फल मीठा होता है।

3. Mehnat Ka Fal Stories in Hindi – चूहा और गिलहरी

Mehnat Ka Fal Stories in Hindi

एक चूहा था जिसका नाम पिंकू था। वह जंगल में रहता था‌। वहीं एक गिलहरी भी रहती थी जिसका नाम जैतानी था। चूहा आलसी था जबकि गिलहरी रात दिन काम में जुटी रहती थी। एक दिन गिलहरी चूहे से बोली ‘बारिश का मौसम आने वाला है कुछ भोजन तो जमा कर लो।

चूहा लापरवाही से बोला ‘देखा जाएगा’। गिलहरी ने कहा ‘मेरा काम तो तुम्हें सचेत करना था अब तुम्हारी इच्छा। बारिश के दिन आ गई और चूहे के बिल में पानी भर गया था। वो एक पेड़ के छेद पर घुस गया। भूख के मारे उसका बुरा हाल था। उसे खरगोश दिखाई पड़ा उसके हाथ पर फलों की एक टोकरी थी।

उसे देखकर चूहे ने नटखट खरगोश से कहा ‘मित्र बहुत भूख लगी है कुछ खाने दोना। खरगोश ने जवाब देते हुए कहा बरसात का मौसम है अगर तुम्हें मैं फल दे दूंगा तो मैं क्या खाऊंगा। यह कहते हुए खरगोश वहां से चला गया। दुखी चूहे ने इधर-उधर देखा उसे कोई दिखाई नहीं दिया।

भूख के मारे चूहा रोने लगा, चूहे को रोते हुए देखकर गिलहरी मूंगफली के कुछ दाने लेकर पेड़ के छेद पर पहुंची। गिलहरी ने चूहे के मुंह में दाने डालते हुए कहा मैं तो पहले ही कहती थी की चूहे भाई कुछ मेहनत कर लो। बारिश आराम से कट जाएगी‌ परंतु तुम नहीं माने।

चूहे ने कहा’ तुमने सही कहा गिलहरी बहन अगर मैं मेहनत करता तो मुझे यह दिन देखना नहीं पड़ता। चूहे ने मूंगफली का दाना खाया और अपनी भूख मिटाई।

सीख: अपनी मेहनत का फल सबसे ज्यादा मीठा होता है।

4. Hindi Stories on Mehnat ka Fal – बिरजू और आलसी बेटे

Mehnat Ka Fal Stories in Hindi

एक गांव में बिरजू नाम का एक किसान रहता था। बिरजू के चार बेटे थे‌। बिरजू बहुत मेहनती और दूरदर्शी स्वभाव का था जबकि उसके बेटे निकम्मे कामचोर और आलसी स्वभाव के थे‌।

बिरजू किसान बूढ़ा होता चला गया और उसके बेटे जवान हो गए‌। बिरजू के बेटे अभी भी उसी पर निर्भर थे। बिरजू को पता था कि वह बहुत जल्द मर जायेगा। अतः बिरजू चिंतित रहने लगा कि ‘मेरे मरने के बाद मेरे इन कामचोर बेटों का क्या होगा? ये बिना कोई काम किये कैसे अपना जीवन यापन करेंगे।

बेटों को सही मार्ग पर लाने के लिए बिरजू किसान ने उन्हें अपने पास बुलाया और कहा- मैंने अपने कमाये पैसे से जो कुछ भी खरीदा है सोना-चाँदी आदि सब अपने खेतों में गाड़ दिया है। अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ शायद इसी कारण मुझे याद नहीं रहा कि धन किस जगह गढ़ा है?

मेरी स्मारण शक्ति भी कमजोर हो गई है। यह कहकर किसान मर गया। अब बिरजू किसान के चारों बेटों ने सोना-चांदी पैसा ढूँढने के लिये सारा खेत खोद डाला परंतु उनके हाथ कुछ नहीं लगा।

यह देखकर वे बहुत निराश हुये‌। एक दिन वे चारों अपने पिता के मित्र के पास गये और उनके साथी बात सुनाई। यह सुनकर बिरजू का मित्र बहुत खुश हुआ। उसने कहा तुम्हारे पिता बहुत बुद्धिमान थे‌।

अनाज ही तो असली सोना है। तुमने खेत को खोद डाला अब उसमें बीज बोकर अच्छी फसल उठाओ और उस फसल को बाजार में बेच दो। इससे तुम्हें काफी मुनाफा होगा‌। चारों ने ऐसा ही किया और मेहनत का महत्व समझा।

सीख: परिश्रम का फल अच्छा होता है।

5. Mehnat Ka Fal Moral Story – राम और श्याम

Mehnat Ka Fal Stories in Hindi

एक गांव में मोहनलाल नाम का एक व्यक्ति था। उसके दो बेटे थे राम और श्याम, दोनों भाई बेरोजगार थे। एक दिन दोनों भाई अपने पिता के पास जाकर कहते है। पिताजी हमें कुछ रुपया दीजिए जिससे हम कोई काम-धंधा शुरू कर सके।

पिताजी को अपने बेटे की बात सुनकर बहुत खुशी होती है। उन्होंने दोनों भाईयों को 2-2 हजार रुपय दिए और साथ ही यह कहा दो साल के अंदर तुम्हें इन रुपयों को लौटाना होगा। मोहनलाल समझदार था और अपने बेटों के बुद्धि का परिक्षा लेना चाहता था।

दोनों ने अपने पिताजी की बात मान ली और फिर वे रुपय लेकर वहां से बाहर चले गए। रास्ते में राम ने श्याम से कहा पिताजी ने ये हमें बड़े भरोसे के साथ दिया है। हमें ये रुपयों से कोई अच्छा काम शुरू करना चाहिए‌।

लेकिन श्याम ने कहा नहीं मैं इन रुपयों से नये-नये कपड़े खरीदूंगा और नई-नई जगह घूम लूंगा और फिर बचे हुए पैसों से अपना काम शुरू करूंगा। हमारे पास दो साल का समय है और फिर दोनों भाई अपने-अपने रास्ते चले गए।

2 साल बाद, मोहनलाल ने अपने दोनों बेटों को बुलाया, मोहनलाल ने अपने छोटे बेटे से पूछा तुमने पैसा का क्या किया? उसने पिताजी से झूठ बोला की किसी ने उसके पैसे चुरा लिए। पिताजी को श्याम के नए कपड़े देखकर झूठ समझ में आ गई‌।

फिर उन्होंने बड़े बेटे राम से पूछा तुम भी क्या खाली हाथ आए हो। राम ने मुस्करा कर कहा नहीं पिताजी यह लीजिए दो हजार रुपय और आपके के लिए कुछ नए कपड़े, पिताजी ने पूछा तुम इतने पैसे कैसे कमा लाएं? तुमने किसी को धोखा तो नहीं दिया? राम ने बोला यह रुपए अपने बुद्धि और मेहनत से कमाएं है।

एक सब्जी वाले को परेशान देख मैंने उसकी सारी सब्जियां खरीद ली और शहर जाकर उसे बेच दिया। इससे मुझे अच्छा फायदा मिला तो मैं हर हफ्ते सब्जियां खरीद उसे शहर जाकर बेच दिया करता था। कुछ दिनों बाद मेरा कारोबार बढ़ने लगा। मैंने शहर में एक दुकान ले ली और सब्जियों का कारोबार करने लगा।

इतना कहकर उसने पिताजी को धन्यवाद किया। पिताजी राम के समझदारी और मेहनत से बहुत खुश हुए और अपने छोटे बेटे श्याम से कहा अगर तुम भी अपने बड़े भाई की तरह बिना समय बर्बाद किए अपने बुद्धि और मेहनत से काम करते तो आज तुम्हारे पास भी बहुत धन होता। राम ने कहा अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है समय का सम्मान करो और मेहनत के साथ आगे बढ़ो। सफलता तुम्हारे कदम चुमेगी।

सीख: अगर समझदारी और मेहनत के साथ बिना समय का दुरुपयोग करके आगे बड़े तो हमें सफलता जरूर मिलेगी।

6. Mehnat Ka Fal Moral Story in Hindi – पांच भाई

एक गांव में 5 भाई रहते थे‌ जिनमें चार भाई नौकरी करते थे। उनके पास किसी चीज की कोई कमी नहीं थी परंतु जो सबसे छोटा भाई है वे अपना गुजारा खेती से करता था। पैसे ना होने की वजह से वह हमेशा परेशान रहता था। चारों भाई के बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते थे।

क्योंकि स्कूल काफी अच्छा था इसलिए उसमें पढ़ाने वाले टीचर भी बच्चों पर ठीक से ध्यान देते थे। लेकिन सबसे छोटे भाई के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते थे क्योंकि उनके पास पैसे की कमी थी‌। धीरे-धीरे समय निकला छोटा भाई वैसा ही रहा उसके बड़े भाई पैसे कमाते गए।

सभी गांव वाले उसका मजाब बनाते थे उसे कहते तेरे भाईयों के पास अच्छा घर है गाड़ी है उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते है जबकि तू परेशान रहता है कुछ नहीं करता उनके बड़े भाई भी उसकी कोई चीज में मदद नहीं करते थे तथा मजाक बनाते थे और कहते थे तेरे बच्चे जिदंगी में कुछ नहीं कर पाएंगे।

उसे यह सुनकर बहुत बुरा लगता है परंतु वो कुछ बोल नहीं पाते केवल मन ही मन में यह सोचते रहते कि एक दिन अपने सफलता से इन सब को जवाब देंगे समय निकला बच्चे बड़े होते गए और कड़ी मेहनत और पढ़ाई में लगन के कारण बहुत होशियार निकले उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हुए भी टॉप किया।

जबकि बड़े भाई के बच्चे यह सोचते रहें की हमारे पास तो सबकुछ है, किसी चीज की कमी नहीं है हमें पढ़ाई करने की क्या जरूरत है। इसी कारण से वे अच्छे नंबर न ला पाए और नाही जिंदगी में कुछ बन पाए। जबकि छोटे भाई के बेटे ने मेहनत जारी रखा और आगे चलकर उन्हें अच्छी नौकरी मिल गई।

सीख: कभी भी किसे के बुरे वक्त का मजाक नहीं बनाना चाहिए।

7. Mehnat ka Phal Story in Hindi – सोहन और सुंदर 

एक गांव में धनीराम नाम का एक किसान रहता था। उनकी पत्नी का पहले ही देहांत हो गया था। धनीराम भी ज्यादातर बीमार ही रहते थे‌ उनके दो लड़के थे। बड़े लड़के का नाम था सोहन और छोटे लड़के का नाम सुंदर था। दोनों की शादी हो चुकी थी‌। सोहन और उसकी पत्नी बहुत ही तेज थे‌‌ जबकि सुंदर सीधा-साधा था।

एक दिन धनीराम का भी देहांत हो गया‌। कुछ दिन बाद सोहन ने सुंदर से कहा की हम घर और खेत का बटवारा कर लेते है। सुंदर तो बहुत ही भोला था उसने कहा जैसा आप ठीक समझे, सोहन ने बड़ी चालाकी से घर और खेत के अहम भाग अपने पास रख लिए‌‌ और बाकी सुंदर को दे दिये।

धनीराम के खेत में एक ही कुवा था जिससे पूरे खेत में पानी जाता था‌। खेत का वह भाग सोहन के हिस्से में था पर सोहन ने सुंदर से वादा किया था की वो उसको हमेशा पानी देता रहेगा। कुछ दिन तो बहुत अच्छे से बीते पर सोहन ने सुंदर को पानी देना बंद कर दिया।

सुंदर ने काफी बार सोहन से कहा पर सोहन ये कहकर टालता रहा की कुँवे में पानी खत्म हो गया है तो कहा से दे। सुंदर काफी परेशान हो गया। इस बार बारिश भी कम हुई सुंदर के सारे खेत सुख गए। एक दिन उसने अपनी पत्नी को कहा की ऐसे बैठे रहने से अच्छा हम खुद ही खेत में कुँवा खोदते है और वह दोनों रोज थोड़ा-थोड़ा कुँवा खोदने लगे।

ऐसे ही कई दिन बित गये‌। एक दिन दोनों को कुँवा खोदते हुए काफी देर हो गयी और सुंदर फावड़े से मिट्टी निकाल रहा था की उसका फावड़ा किसी बड़ी चीज से टकराया, पहले सुंदर को लगा कोई बड़ा पत्थर होगा पर जब उसने उसे बाहर निकाला तो दंग रह गया।

वो एक सोने का बड़ा घड़ा था। उसने उसे खोला तो वो हीरे-मोती से भरा था उसे देख दोनों बहुत खुश हुए। उस दिन के बाद से सुंदर बहुत पैसेवाला हो गया। दूसरी तरफ सोहन को अपने किये पर बहुत पछतावा हो रहा था।

8. Mehnat ka Phal Story with Moral – चोर और सूखा गांव

 

एक बार एक गांव में अकाल पड़ गया, पीने के लिए पानी तक नहीं बचा था‌। लोग अपना गांव छोड़कर दूसरे गांव में जाने के लिए तैयार हो गए। ये बात सुनकर वहां के राजा को बड़ी चिंता हुई। राजा ने मंत्रियों से सलाह मशवरा किया।

मंत्रियों ने राज्य के प्रसिद्ध महात्मा जी से कुछ उपाय जानने के लिए राजा को यह युक्ति सुझाई। राजा ने महात्मा जी को बुलाया और सारी घटना के बारे में बताया उन्हें कोई उपाय बताएं। महात्मा जी ने राजा को समझाया की गांव में एक बड़ा सा तालाब खुदवाया जाए‌।

तालाब में वर्षो का पानी भर जाएगा तो वे गांव वालों के पीने का काम आएगा। तालाब में खुदाई करने वालों को उनका मेहनताना दे ताकि लोगों को खाने के लिए पैसे के साथ उन्हें पानी भी मिल जाए जिससे लोग गांव छोड़कर नहीं जाएंगे।

राजा को महात्मा की सलाह अच्छी लगी और उन्होंने महात्मा जी से बड़ा तालाब खुदवाने के लिए कहा महात्मा जी गांव में गए और गांव वालों से तालाब खोदने को कहा उन्होंने प्रतिदिन शाम को मजदूरी के पैसे देने का वादा किया।

गांव वाले तालाब की खुदाई में लग गए और वे सभी ने जाने का इरादा भी छोड़ दिया। गांव वाले रोज तालाब की खुदाई करते और रोज शाम को महात्मा जी से पैसे प्राप्त कर लेते। उसी गांव में एक चोर रहता था जिसे यह सब देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ और उसके मन में लालच जाग गया।

चोर ने सोचा की राजा ने महात्मा को बहुत सारा धन दिया है जिससे की वो लोगों को मजदूरी बांटते है। एक दिन मौका पाकर वह चोर रात को महात्मा जी के झोपड़ी में घुस गया। चोर ने महात्मा जी के झोपड़ी छान मारा परंतु उसको कहीं भी कुछ ना मिला।

चोर की आहट सुनकर महात्मा जी जाग गए। महात्मा जी को जगा हुए देख चोर घबरा गया। महात्मा जी ने चोर से बड़े प्यार से पूछा तुम धन चुराने के लिए आए हो ये झोली लो और इसे उल्टा करो। चोर ने झोली उल्टी करी तो खन-खन करके झोली से सिक्के गिरने लग गए।

महात्मा जी ने चोर से कहा जितना धन चाहिए ले जाओ। चोर सिक्के उठाने को जितनी दफा हाथ से सिक्के को उठाता सिक्के तुरंत ही मिट्टी के बने जाते। धीरे-धीरे सारे सिक्के मिट्टी के बन जाते। महात्मा ने चोर से कहा ये जादुई धन है ये केवल उसी को मिलता है जो मेहनत करता है।

बिना मेहनत किए इन सिक्के को लेने से ये मिट्टी के बन जाते है जो चोर को समझ में आ गया की मेहनत से ही धन कमाया जा सकता है। उसने चोरी का विचार छोड़ दिया और दूसरे दिन से ही वे भी तालाब खोदने के काम में लग गया।

सीख – हमेशा मेहनत से कमाया हुआ धन ही हमारी अच्छी कामों में साथ देता है।

9. Mehnat ka Phal Story with Moral – तुलसी और छोटा परिवार

कहानी शुरू होती है एक लड़के से जिसका नाम है तुलसी था। जैसा की उसका नाम था वैसे ही उसके काम थे। तुलसी दस साल का था और उसकी प्यारी सी एक छोटी बहन थी जिसका नाम था राधा। दोनों बच्चे अपने माता-पिता, दादा-दादी के साथ छोटे से घर में रहते थे।

तुलसी पढ़ाई में बहुत होशियार था। वे घर में हर काम में अपने माता-पिता की मदद करता था और उसके अध्यापक उससे बहुत खुश थे। एक बार की बात है तुलसी के पिताजी खेत में काम कर घर लौट रहे थे की अचानक एक सांप ने उन्हें डस लिया और मौके में ही उनकी मृत्यु हो गई।

तुलसी के दादाजी अब बहुत बूढ़े हो गए थे और बीमार रहते थे। घर की सारी जिम्मेदारी तुलसी और उनके माताजी पर आ गई। वक्त बीतता गया और घर के हालात ज्यादा खराब होने लगे। इस सबको को देखते हुए तुलसी के दादाजी ने उसे सलाह दी की आगे की पढ़ाई अब बंद कर दे।

उसकी मां ने भारी मन से इस फैसले में अपनी सहमति भरी। तुलसी बहुत दुखी था और अपनी स्कूल छोड़ने की खबर देने के लिए अपने अध्यापकों के पास गया और उन्हें सब बताया। तुलसी के दो दोस्त थे एक का नाम श्याम और एक का नाम था राम।

दोनों बहुत ही अमीर घर से थे। श्याम ने तुलसी के सारे पढ़ाई का खर्चा देने का ठाना और राम ने सारी किताबों की खर्चा की जिम्मेदारी ली। छोटे बच्चों की होशियारी और हौसला को देख अध्यापक ने भी उसके परिवार की मदद करने का ठाना।

तुलसी के दुखी मन में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी। पहले तो उसने अपने दोस्तों और अध्यापक को धन्यवाद किया और ये खुशी की बात माता जी को बताई। माता जी बहुत खुश हुई और दोनों मिलकर खूब खेतों में मेहनत से काम करते थे और साथ ही साथ पढ़ाई में भी मन लगाकर पढ़ा करता था। हर साल तुलसी अपनी कक्षा में प्रथम आता था।

सीख – किस्मत भी उसी का साथ देता है जो मेहनत पर भरोसा करता है।


हमें उम्मीद है की आपको हमारी Mehnat Ka Fal Stories in Hindi पढ़ कर जरूर मजा आया होगा। यह Short Stories in Hindi, Short Hindi Kahaniyan न केवल बच्चों को पढ़ने में अच्छी लगती है बल्कि यह बड़े लोगों के मनोरंजन का साधन भी बनती है और हमें अपना गुजरा हुआ कल याद दिलाती है। यदि आपको हमारी कर्मों का फल कहानियाँ पसंद आयी हो तो आप हमकों इसके बारे में नीचे comment भी कर सकते है।


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